आज भारत उस दौर में है, जहाँ कोई भी उत्पाद या कारोबार चुटकियों में पूरे देश तक पहुँच सकता है। उदाहरण के लिए, मलयालम में बनी फिल्म अब सिर्फ मलयालम तक सीमित नहीं रहती—डबिंग के जरिए इसे पैन इंडिया रिलीज किया जा सकता है। निर्माता-निर्देशक की मेहनत और लागत एक बार लगती है, लेकिन डबिंग उस फिल्म को हर भाषा के दर्शकों तक ले जाती है। ठीक इसी तरह, आपका उत्पाद भी पैन इंडिया पहुँच सकता है, क्योंकि उत्पाद डिलीवरी अब न सिर्फ शहरों, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों तक तेजी से फैल रही है।

स्थानीय भाषा: आपके कारोबार के लिए सफलता सूत्र
इसके लिए आपको चाहिए एक भरोसेमंद साथी जैसे वर्बशाइन, जो भारतीय भाषाओं के लिए या भारतीय भाषाओं से ट्रांसलेशन, लोकलाइजेशन, कॉपीराइटिंग और कंटेंट क्रिएशन में आपकी मदद करे।
याद रखिए, आपकी टार्गेट ऑडियंस जिंदगी न मिलेगी दोबारा का इमरान कुरैशी नहीं है जो कहे, “न मैं समझा, न मैं जाना, जो भी तुमने मुझसे कहा Senorita“। इस दौर में आपको “Senorita” बनने की जरूरत भी नहीं, क्योंकि वर्बशाइन जैसी एजेंसियाँ हैं, जो आपकी बात को सटीक और प्रभावी ढंग से रखने में सक्षम हैं।
चाहे ग्राहकों के लिए हो या कर्मचारियों के लिए, आप अपने कंटेंट को हर राज्य की स्थानीय भाषा में तैयार करवा सकते हैं। इससे न सिर्फ समझ बढ़ती है, बल्कि भरोसा भी मजबूत होता है। उदाहरण के तौर पर, अगर आप गुजरात में हैं और कोई बैंक मार्केटिंग वाला अंग्रेजी में समझाए, और अंग्रेजी में कंटेंट भी दे, जबकि दूसरा गुजराती में कंटेंट दे और समझाए, तो आप किसे चुनेंगे? 90% से ज्यादा लोग स्थानीय भाषा को तरजीह देंगे। क्यों? क्योंकि अपनी भाषा में बात झटपट समझ आ जाती है।
एक अन्य उदाहरण के साथ समझते हैं, जो कॉकटेल पार्टी प्रभाव से संबंधित है। यह एक मनोवैज्ञानिक और संज्ञानात्मक घटना है, जिसमें व्यक्ति भीड़-भाड़ या शोरगुल वाले माहौल में भी अपनी परिचित भाषा, आवाज़ या विशिष्ट ध्वनियों को चुनिंदा तरीके से सुन सकता है। मान लीजिए आप मुंबई के किसी भीड़-भाड़ वाले बाजार में घूम रहे हैं। आप मुंबई के नहीं, बल्कि पंजाब से हैं। चारों तरफ शोर-शराबा है, लेकिन दूर से कोई दो लोग पंजाबी में बात कर रहे हैं। यकीन मानिए, कितना भी शोर क्यों न हो, आपको उनकी बात साफ सुनाई देगी।
स्थानीय भाषा: भरोसे की बुनियाद, कारोबार की उड़ान
आज के प्रतिस्पर्धी बाज़ार में, ग्राहकों और कर्मचारियों का विश्वास जीतना सबसे महत्वपूर्ण है। और विश्वास की यह नींव स्थानीय भाषा के माध्यम से ही रखी जा सकती है। चाहे लिखित कंटेंट हो या मौखिक संवाद, स्थानीय भाषा में दी गई जानकारी लोगों को अपनेपन का एहसास कराती है।
क्या आप अपनी संचार रणनीति में स्थानीय भाषाओं को शामिल कर रहे हैं? यदि हाँ, तो यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आपका कंटेंट न केवल अनुवादित हो, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी प्रासंगिक हो। एक सतही अनुवाद अक्सर वांछित प्रभाव पैदा करने में विफल रहता है।
गलत अनुवाद से बचें
हम रोज समाचारों और वेबसाइट्स पर ऐसे कंटेंट देखते हैं जो सिर्फ खानापूर्ति से ज्यादा कुछ नहीं है। अपने कंटेंट को ऐसी खानापूर्ति से बचाने के लिए:
- वर्बशाइन जैसी विश्वसनीय भाषा संबंधित सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियों या एजेंसियों से सहयोग लें।
- अपने कर्मचारियों से उनकी भाषा में कंटेंट पढ़ने और फीडबैक देने के लिए उत्साहित करें।
- जितना संभव हो सके, मशीनी अनुवाद से दूर रहें, क्योंकि यह हमेशा सटीक नहीं होता।
- समय-समय पर मानवीय अनुवाद की भी जॉंच करें, कहीं मशीनी अनुवाद तो नहीं है।
- अपनी शब्दावली (Glossary) तैयार करवाएँ, ताकि हर अनुवाद में एकरूपता बनी रहे।
क्रिएटिव एड एजेंसी के भरोसे भी अनुवाद न छोड़ें, क्योंकि हमारे बुजुर्गों ने कहा है, जिसका काम उसी को साजे दूजा करे तो मूर्खता बाजे॥
वर्बशाइन के साथ आगे बढ़ें
अगर आप वर्बशाइन की सेवाओं के बारे में जानना चाहते हैं, तो हमसे बेझिझक संपर्क करें। हम आपकी सेवा में हमेशा तैयार हैं।

Excuse Me! Kya Aapki Bhasha Mein Loanwords Nahin hain? Oh really?
Excuse Me! Kya Aapki Bhasha Mein Loanwords Nahin hain? Oh really? While the number of readers may be dwindling[…]

Words Can Be Delightfully Tricky, Don’t You Think?
Words can be delightfully tricky, don’t you think?It’s not just me—you’ve probably come across moments like this in your[…]

Translation is not a bunch of grapes, then?
Translation is not a bunch of grapes, then? Yesterday, I was speaking with a representative from an old translation[…]
No responses yet